जादुई कबूतर और तांगा ढावा. Top 10 Best Moral stories.

जादुई कबूतर और तांगा ढावा. Top 10 Moral Stories 

जादुई कबूतर और तांगा ढावा

 

एक गांव में मोहन नाम का एक गरीब तांगेवाला अपनी पत्नी सुमित्रा के साथ रहा करता था,एक दिन सुबह-सुबह मोहन की पत्नी सुमित्रा मोहन से बोली,
सुमित्रा -“अजी आप सारा दिन तांगा चलाते हो मगर इसके बदले आपको मिलता क्या है??”
मोहन मुस्कुराते हुए -“सुमित्रा घोड़े को दाना मिल जाता है और हमें खाना मिल जाता है”
सुमित्रा -“अजी अगर हमें खाना और घोड़े को दाना पेट भर नसीब हो तो जरा अच्छा भी लगे”
मोहन -“तुम कहना क्या चाहती हो सुमित्रा”

सुमित्रा -“देखिए जी ना तो हमें पेट भर के भोजन मिल पाता है और ना ही पवन (घोड़े का नाम)को पेट भर खाना मिल पाता है ऊपर से रोज कर्जे वाले आपको ढूंढते हुए यहां तक आ जाते हैं”
मोहन -“चिंता मत करो ईश्वर एक दिन सब सही करेगा”

मोहन ये कहता हुआ घर से बाहर निकल गया, और अपने ठिकाने पर पहुंच गया जहां पर वो रोज खड़ा होता था मगर शाम तक मोहन को एक भी सवारी नहीं मिली, मोहन घर आ रहा था कि तभी बाजार में उसे गांव का मुखिया मिल गया,जो उसे देखकर बोला,

मुखिया -“अच्छा हुआ तुम यहां मिल गए मोहन घर पर तो तुम कभी मिलते नहीं हो”
मोहन -“ऐसी कोई बात नहीं मुखिया जी, मैं दिन भर तो तांगा चलाता रहता हूं”
मुखिया -“तांगा चलाते नहीं रहते बल्कि दिनभर तांगे पर आराम करते रहते हो,देखो मोहन तुमने मुझसे भी कुछ पैसे उधार लिए थे जो अभी तक नहीं चुकाये,और तो और तुम्हारी शिकायतें गांव के कई लोग मुझ से कर चुके हैं तुमने उनके भी पैसे नहीं लौटाये”

मोहन -“मुखिया जी पिछले कुछ कुछ महीनो से धंधा थोड़ा मंदा चल रहा है जैसे ही धंधा अपनी रफ्तार पकड़ेगा मैं सबके पैसे चुका दूंगा”
मुखिया -“मुझे तुम्हारी बकवास सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं,मैं तुम्हें एक महीने की मोहलत देता हूं मोहन,अगर तुमने एक महीने के अंदर मेरे और बाकी लोगों के पैसे नहीं चुकाये तो मैं तुमसे तुम्हारा तांगा छीन लूंगा और वैसे भी घोड़े के दाम बाजार में अच्छे मिल जाते हैं”

इतना बोलकर मुखिया वहां से चला गया और मोहन उदास हो कर एक नदी के किनारे बैठकर अपने आप से बोला,

मोहन -” हे भगवान अब मैं क्या करूं,आज तो कोई भी सवारी नहीं मिली,अगर आज खाली हाथ घर गया तो सुमित्रा फिर से उदास हो जाएगी, और ऊपर से से मुखिया जी भी मुझे धमकी देकर गए हैं”

मोहन ने इतना कहा ही था कि तभी उसकी नजर अपने ठीक सामने बैठे एक नीले कबूतर पर पड़ी जो कि आकार में थोड़ा सा बड़ा था,मोहन हैरत से उस कबूतर को देखकर अपने आप से बोला,
मोहन -” ये कबूतर तो और कबूतरों के मुकाबले थोड़ा बड़ा नजर आता है इस तरह के कबूतर तो मैंने इस इलाके में कभी नहीं देखे”

तभी वह कबूतर इंसानी आवाज में बोला,
कबूतर -” मुझे इस तरह मत देखो जिस तरह तुम इंसान हो तो मैं भी एक कबूतर हूं”
कबूतर की जुबान से इंसानी आवाज सुनकर मोहन बुरी तरह से डर गया,
कबूतर -“मुझे देखकर डरो नहीं मुझे अपना दोस्त ही समझो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं”
कबूतर के इन शब्दों को सुनकर मोहन का डर थोड़ा कम हो गया,
मोहन -“लेकिन वह कैसे”

कबूतर -“ऐसे नहीं बताऊंगा पहले मुझे अपने घर ले चलो, मैं एक जादुई कबूतर हूं,क्या तुमने मेरा आकार नहीं देखा”
मोहन कबूतर की बात सुनकर बहुत खुश हो गया उसे कबूतर को तांगे मे बैठा कर अपने घर पर ले आया,

सुमित्रा -” यह कैसा कबूतर है इसका आकार तो और कबूतर से बड़ा है”
मोहन -“सुमित्रा यह कोई मामूली कबूतर नहीं है यह मुझे नदी के किनारे मिला था,जानती हो यह इंसानी आवाज में बात भी करता है”
सुमित्रा -“अजी छोड़िए जी सुबह से कोई मिला नहीं जो आप मुझे ही बेवकूफ बना रहे हैं,वैसे भी घोड़े को तो दाना पेट भर के मिल नही नहीं पाता ऊपर से आप इस कबूतर को भी घर ले आए”

तभी वह कबूतर सुमित्रा की ओर देखकर बोला,
कबूतर -“मैं कोई मामूली कबूतर नहीं हूं मेरी सेवा करो इसके बदले मैं तुम्हें मेवा खिलाऊंगा”
कबूतर के मुंह से इंसानी आवाज सुनकर सुमित्रा भी बुरी तरह से डर गई,
कबूतर -“मुझे देखकर डरो नहीं तुम्हारा पति भी देखकर डर गया था”
सुमित्रा अपने पति से बोली,

सुमित्रा -” अजी कहीं ये कबूतर के भेष में यह कोई राक्षस ये चुड़ैल तो नहीं है”
कबूतर -“नहीं नहीं मैं एक अच्छा जादुई कबूतर हूं”
सुमित्रा -“अच्छा तो अगर तुम जादुई कबूतर हो तो फिर हमें ढेर सारा सोना चांदी दे दो”
कबूतर -“ऐसे नहीं बल्कि पहले मेरी सेवा करो”

सुमित्रा और राजू पांच दिन तक उस कबूतर की सेवा में करते रहे,वह कबूतर जब-जब आवाज लगाता वह दोनों दौड़े चले आते, पांच दिन बाद मोहन अपनी पत्नी के साथ एक खेत मे उस कबूतर से बोला,

मोहन -“जादूगर कबूतर अब तो अपना जादू दिखा दो इन पांच दिनों से मेरा तांगा भी घर पर खड़ा है और अब मेरे पास पैसे भी खत्म हो गए हैं”कबूतर -“ठीक है जैसी तुम्हारी इच्छा,तुम्हारे ऊपर बाजार में बहुत सारा कर्जा है ना”मोहन -“हां मेरे ऊपर बहुत सारा कर्जा है”

कबूतर -“तो फिर ठीक है तुम बाजार से दस हज़ार का कर्ज और ले आओ”
मोहन -“यह क्या बकवास कर रहे हो तुम,पांच दिन तक अपनी सेवा करवा कर तुम मुझे यह सलाह दे रहे हो कि मैं बाजार से दस हज़ार रुपए और ले आऊं”
सुमित्रा -” मुझे तो चक्कर आ रहे हैं यह क्या बोल रहा है”

मोहन बड़ी मुश्किल से गांव से के किसी व्यक्ति से दस हज़ार रूपये एक महीने की मोहलत पर ले लाया और घर पर आकर कबूतर से बोला,

मोहन -“यह लो भाई दस हज़ार रूपये,अब क्या तुम इन दस हज़ार रूपये को दस करोड़ में परिवर्तित कर दोगे”
कबूतर -“नहीं बल्कि इन दस हज़ार रूपये से तुम अपना व्यवसाय शुरू करो”
मोहन -“मतलब……??”

कबूतर -“यही कि तुम इंसान हो ईश्वर ने तुम्हें हाथ पैर दिए हैं और तो और तुम्हें सोचने के लिए दिमाग भी दिया है, हाँ मैं तुम्हें उपाय बता सकता हूं”
मोहन -“ठीक है जादूगर कबूतर बताओ क्या उपाय है”
कबूतर -“सुनो तुम तांगा चलाते हो और दिन भर सवारी का इंतजार करते हो जबकि आज का जमाना मोटरबाइक बस और ऑटो का है”
मोहन -“यह तो मैं भी जानता हूं इसमें नई बात क्या है”

कबूतर -” तुम अपने तांगे को थोड़े से पैसों लगाकर अच्छी तरह से सजाओ,और इन दस हज़ार रूपये का भोजन बनाकर अपने तांगे में रखो,और अपनी पत्नी के साथ एक तांगा ढाबा खोलो,विश्वास करो तुम्हारे ऊपर धन की वर्षा होने लगेगी”

मोहन ने ऐसा ही किया उसने अपने तांगे को अंदर और बाहर से और ज्यादा सुंदर कर दिया,और सुमित्रा ने बहुत अच्छे-अच्छे व्यंजन बनाए,और वो तांगे के अंदर बैठ गई,मोहन तांगा चलाते हुए बस स्टैंड पर खड़ा हो गया,तभी एक व्यक्ति मोहन के पास आकर बोला,
व्यक्ति -“तुम्हारे टांगे से तो बहुत अच्छी खुशबू आ रही है”

मोहन -“हाँ भईया अगर आपको जलपान करना है तो आप तांगे के अंदर कर सकते हैं”
उस व्यक्ति ने अंदर जाकर देखा तो तांगे के अंदर बैठने का अच्छा इंतिज़ाम था,
व्यक्ति -“अरे वह यह तो वाकई तांगा ढाबा है, चलो आज तांगे में बैठकर खाने का आनंद लेते हैं”

वह व्यक्ति तांगे में बैठकर खाना खाने लगा,उस व्यक्ति को खाना बहुत पसंद आया,व्यक्ति मोहन से बोला,
व्यक्ति -“भाई तुम्हारा तांगा ढावा तो वाकई बढ़ा लाजवाब है इतना लजीज खाना तो मैंने होटल में भी नहीं खाया,मैं एक यूट्यूबर हूं मैं तुम्हारे तांगे ढावा का वीडियो यूट्यूब में जरूर अपलोड करुंगा”

उस व्यक्ति ने तांगे ढाबे की तारीफ यूट्यूब पर करनी शुरू कर दी,कुछ ही दिनों में मोहन के तांगे ढाबे पर भीड़ लगने लगी,और उसके ऊपर धन की वर्षा होने लगी,पच्चीस दिनों के अंदर मोहन को पूरे दो लाख की आमदनी हुई,मोहन खुश होता हुआ उस कबूतर के पास जाकर बोला,

मोहन -“अरे वाह तुमने तो कमाल कर दिया, दो लाख रूपये तो मैं पूरे तीन साल में नहीं कमा पाता था”
कबूतर -” इसे कहते हैं असली जादू,यानी कि मेहनत के साथ-साथ दिमाग के कमाल का जादू”

कुछ ही दिनों में मोहन का तांगा ढाबा आसपास के इलाकों में प्रसिद्ध होने लगा, अब मोहन दूसरे गांव में भी अपना तांगा ढाबा लेकर जाने लगा,मोहन ने अपने सभी कर्जदारों को पैसे लौटा दिये, मगर मुखिया को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आई,मुखिया अपने आप से बोला,

मुखिया -“समझ में नहीं आता इस बेबकूफ मोहन के दिमाग में यह योजना कहां से आ गई,मैं तो इसका तांगा छीनने की फिराक में था मगर यहां तो उलटी गंगा बहने लगी कुछ तो गड़बड़ जरूर है”

मुखिया उस दिन से मोहन पर नजर रखने लगा और एक दिन उसने मोहन को अपने घर पर उस कबूतर से बातें करते हुए देख लिया, मुखिया क्रोधित होते हुए अपने आप से बोला,

मुखिया -“अच्छा तो यह जादुई कबूतर मोहन के हाथ लगा है,इसी ने इसके बेकार तांगे को ढावे में परिवर्तित किया होगा,अरे मैंने तो मोहन के घोड़े का शहर में एडवांस भी ले रखा है जो अगर मैंने उन्हें टाइम से घोड़ा नही दिया तो उल्टे मेरे लेने के देने पड़ जाएंगे,मैं इस कबूतर को ही जान से मार दूंगा”
इतना बोलकर मुखिया मोहन के घर के अंदर घुस गया,मोहन और सुमित्रा मुखिया को अचानक देखकर चौक गए,
मोहन -“मुखिया जी आप मेरे घर के अंदर बगैर इजाजत के कैसे घुस आये”

मुखिया -“मोहन मैं तुम्हारा तांगा हड़पना चाहता था और तुम्हारे घोड़े को बेचना चाहता था मगर इस कबूतर की वजह से मेरी सारी योजना पर पानी फिर गया”इतना बोलकर मुखिया कबूतर को मारने के लिए आगे बढ़ा तभी उस कबूतर की आँखों से लाल रंग की किरणे निकलने, और मुखिया भी एक कबूतर में परिवर्तित हो गया,कबूतर -“अब मेरा यहां से जाने का समय आ गया है तुम्हारा यही गांव में दुश्मन था”मोहन -” यह जैसे भी हैं हमारे गांव के मुखिया हैं इन्हें सही कर दो”कबूतर -” ठीक है लेकिन सिर्फ तुम्हारे कहने पर”

कबूतर ने इतना बोला ही था कि तभी मुखिया अपने असली रूप में आ गया और वहां से डरता हुआ भाग गया,जादुई कबूतर वहां से गायब हो क्या और उसके बाद फिर वह मोहन को कभी नहीं मिला लेकिन मोहन आज भी तांगा ढाबा चलाता है,

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